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मधुरम् संस्कृतम् गीतम्
मृदपि च चंदन मस्मिन् देशे
मृदपि च चन्दन मस्मिन् देशे … संस्कृत गीत एक बहुत लोकप्रिय गीत है, जिसमें इस देश की माटी को भी चंदन के समान बताते हुए, भारत देश के गौरव का वर्णन किया गया है। इस मधुर संस्कृत गीत को श्री जर्नादन हेगडे जी ने लिखा है । इसी संस्कृत गीत का हिन्दी वर्जन आपने सुना अवश्य होगा जो कि, बहुत लोकप्रिय गीत हुआ – ”चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है, हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है ।”
प्रस्तुत् संस्कृत गीत RBSE BOARD के कक्षा 8 की संस्कृत पुस्तक रञ्जनी में उद्धृत है, जिसे बाल संस्कृत गीत के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। ताकि बच्चे देशे की माटी की महिमा को समझ सकें। चलिए इस मधुर संस्कृत गीत के बोल पढ़ते हैं।
‘मृदपि च चन्दन मस्मिन् देशे’ संस्कृत गीत के बोल
मृदपि च चन्दन मस्मिन् देशे ग्रामो ग्राम: सिद्धवनम्।
यत्र च बाला देवीरूपा बाला: सर्वे श्रीरामा:॥
अंतरा १ –
हरिमन्दिरमिदमखिलशरीरम्
धनशक्ती जनसेवायै
यत्र च क्रीडायै वनराज:
धेनुर्माता परमशिवा॥
नित्यं प्रात: शिवगुणगानं
दीपनुति: खलु शत्रुपरा॥
यत्र च बाला देवीरूपा बाला: सर्वे श्रीरामा:॥
मृदपि च चंदन मस्मिन् देशे ……..
अंतरा २
भाग्यविधायि निजार्जितकर्म
यत्र श्रम: श्रियमर्जयति।
त्यागधनानां तपोनिधीनां
गाथां गायति कविवाणी
गंगाजलमिव नित्यनिर्मलं
ज्ञानं शंसति यतिवाणी॥ ॥
यत्र च बाला देवीरूपा बाला: सर्वे श्रीरामा:॥
मृदपि च चंदन मस्मिन् देशे ……..
अंतरा ३
यत्र हि नैव स्वदेहविमोह:
युद्धरतानां वीराणाम्।
यत्र हि कृषक: कार्यरत: सन्
पश्यति जीवनसाफल्यम्
जीवनलक्ष्यं न हि धनपदवी
यत्र च परशिवपदसेवा॥ ॥
यत्र च बाला देवीरूपा बाला: सर्वे श्रीरामा:॥
मृदपि च चंदन मस्मिन् देशे ……..
कवि -श्री जर्नादन हेगडे
मृदपि च चन्दन मस्मिन् देशे को कैसे पढ़ें – सीखिए
इस गीत को हमने अपने विद्यालय के बच्चों को कम समय में सिखा कर अभ्यास कराने का प्रयत्न किया है, आप भी इस गीत को सुनकर गीत गायन का आनंद ले सकते हैं व सीख सकते हैं –