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Vah Chidiya Jo वह चिड़िया जो
कविता का सामान्य परिचय व भावार्थ /Explaination
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”वह चिड़िया जो Vah Chidiya Jo ” श्री केदारनाथ अग्रवाल जी द्वारा रचित Class 6th वसंत भाग -1 हिन्दी किताब की पहली कविता है .. जिस में कवि केदारनाथ अग्रवाल जी ने एक नीले पंखों वाली सुन्दर-सी चिड़िया के स्वभाव व विशेषताओं के बारे में वर्णन किया है |
वैसे तो इस चिड़िया की बहुत-सी विशेषताएँ हैं जिसे आप पूर्ण रूप से video के माध्यम से ही अच्छे से समझ पाएँगे.. जिस का Link मैं Attach कर रहा हूँ ..इस Video की सहायता से आप Vah Chidiya Jo कविता का भावार्थ भी अच्छे से समझ पाएँगे और साथ ही साथ कविता की लय से भी अवगत हो सकेंगे… ज्यादा जानकारी के लिए आप video अवश्य देखें –
वह चिड़िया जो कविता से सीख –
इस कविता में कवि ने मुख्यतः चिड़िया की तीन मुख्य विशेषताओं का जिक्र किया है
जिस से हमको भी अपने मानव जीवन में सीख लेनी चाहिए … तो क्या हैं वे तीन विशेषताएँ ??
आइए जानें :-
Vah Chidiya Jo पहली विशेषता –
वह एक संतोषी चिड़िया है अर्थात् वह कम भोजन में भी संतोष कर लेती है..
क्योंकि चिड़िया जंगल में रहती है और उसे जंगल में सिर्फ जुंडी के दाने अर्थात (ज्वार के दाने) ही खाने को मिलते हैं और वो ज्वार के दाने खाने में कैसे हैं ? दूध भरे ज्वार के दाने हैं .. तो ज्वार के दानों में भी वह खुश रह लेती है और संतोष कर लेती है |
सीख – ऐसे ही हमें भी, जीवन में जो भी, जैसा कुछ भी, खाने को मिले, हमारे माता-पिता जैसा भोजन हमें खिलाने में सक्षम हों, हमें उसी में संतोष कर लेना चाहिए | पहली विशेषता तो ये है जिसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए |
दूसरी विशेषता –
ये है कि, जो चिड़िया है वह जंगल में रहती है और जंगल में उसे बहुत-सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन, उन कठिनाइयों के बावजूद भी वह चिड़िया मुक्त कंठ में स्वतंत्र होकर और बड़े ही आनंद से मधुर स्वर में गाना गाती है अर्थात वह इतनी कठिनाइयाँ झेलने के बाद भी खुश रहने का प्रयत्न करती है,
सीख – ऐसे ही यह हमारा जो जीवन है वह संघर्ष भरा है और ऐसे संघर्ष भरे जीवन में हमें कठिनाइयों का सामना हँसते-हँसते , खुश रहते हुए जीना चाहिए ताकि सारी मुश्किलें आसान होती चली जाएँ और हम आगे बढ़ते चले जाएँ, तो ये है दूसरी विशेषता जिसे हमें अपने जीवन में अपनानी चाहिए |
तीसरी विशेषता –
ये है कि, वह बहुत साहसी है क्योंकि जब भी चिड़िया को प्यास लगती है तो वह लबालब पानी से भरी हुई, तेज धार में बहती हुई नदी में जाकर ही अपनी प्यास बुझाती है | इससे पता चलता है कि, वह चिड़िया बहुत साहसी है |
सीख – ऐसे ही हमें भी किसी भी कार्य को करते हुए मन में साहस रखना चाहिए ताकि हर मुश्किल कार्य को हम आसान बना सकें | तो ये है तीसरी विशेषता जिसे हमें अपने जीवन में अपनानी चाहिए |
”वह चिड़िया जो” कविता के शब्दार्थ
जुंडी के दाने – ज्वार (अनाज) के दाने
रूचि – चाव, इच्छा, मन से
रस – आनंद
संतोषी – संतोष करने वाली (Satisfied)
अन्न – भोजन
कंठ – गला
रस उँडेल कर गाना – मधुर ध्वनि में गाना, आवाज में मिठास लाकर गाना
मुँहबोली – मुँह से बोलने वाली
विजन – एकांत जगह, निर्जन क्षेत्र , शांत स्थान
टटोल कर – खोजकर
जल का मोती – मोती रुपी अमूल्य जल
गरबीली – स्वयं पर गर्व करने वाली
‘वह चिड़िया जो’ कविता का भावार्थ / सरलार्थ / Explaination —
Vah_Chidiya_Jo_Kavita_Solution_For_Class_6th[1]
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