अनुक्रमणिका
पाठ – ३ (बाल रामायण)
दो वरदान का सारांश / Summary
शब्दार्थ एवं प्रश्न-उत्तर / Question Answers
दो वरदान पाठ का सारांश, शब्दार्थ एवं प्रश्न उत्तर – CLASS 6 HINDI (बाल रामकथा)
दो वरदान कक्षा ६ हिन्दी/Class 6 Hindi की पाठ्यपुस्तक बाल रामकथा का तीसरा अध्याय हैं । इस लेख में दो वरदान पाठ से संबंधित महत्वपूर्ण कठिन शब्दों के अर्थ, पाठ का सारांश एवं महत्त्वपूर्ण प्रश्न-उत्तरों को आपके समक्ष रखने का प्रयास करेंगे एवं इस लेख के अंत में दो वरदान पाठ की सम्पूर्ण PDF भी आप प्राप्त कर पाएँगे। पाठ का सारांश इस प्रकार है –
दो वरदान का सारांश
राम के विवाह के पश्चात राजा दशरथ के मन में राम के राज्याभिषेक की इच्छा थी । वह उन्हें युवराज का पद देना चाहते थे । राम की विनम्रता, विद्वता और पराक्रम के कारण प्रजा भी उनको बहुत चाहती थी । अगले दिन राम के राज्याभिषेक करने की घोषणा की गई । उस समय भरत और शत्रुघ्न अयोध्या में नहीं थे वे अपने ननिहाल गए हुए थे ।
राज्याभिषेक की तैयारियाँ कैकेयी की दासी मंथरा ने भी देखी। यह देख सुनकर मंथरा जलभुन गयी । वह कैकेयी की मुँहलगी दासी थी और कैकेयी का हित ही उसके लिए सर्वोपरि था । राम का राज्याभिषेक उसे कैकेयी के विरुद्ध राजा दशरथ का कोई षड्यंत्र लगा वह क्रोधित होते हुए दौड़ती हुई सीधे कैकेयी के कक्ष में पहुँची भड़काने (समझाने) लगी कि भरत की अनुपस्थिति में राम का राज्याभिषेक कैकेई का अधिकार छीनने का प्रयास है ।
कैकेयी ने मंथरा की बातें नहीं मानी और राम के प्रति स्नेह तथा राज्याभिषेक को दशरथ का ज्येष्ठ पुत्र होने का अधिकार बताया । उसने मंथरा को डाँटा भी मंथरा पर कैकेयी की डाँट का कोई प्रभाव नहीं पड़ा । उसने कैकेयी से कहा यदि राम राजा बन गया तो वह कौशल्या की दासी बनकर रह जाएगी और भरत राम के दास । कैकेयी पर धीरे-धीरे मंथरा की बातों का प्रभाव पड़ने लगा। कैकेयी मंथरा की बातों से सहमत होने लगी ।
उनका क्रोध प्रेम में बदल गया । मंथरा ने कैकेयी से कहा कि वह मेले कपड़े पहनकर कोप भवन में जाकर बैठ जाएं और राजा दशरथ को पुरानी बातें याद दिलाते हुए अपने दोनों वरदान माँगे ले । पहले वरदान में भरत का राज्याभिषेक और दूसरे वरदान में राम को (चौदह) 14 वर्ष का वनवास । राजा दशरथ ने सबसे पहले कैकेयी के पास जाकर राम के राज्याभिषेक का शुभ समाचार देने का विचार किया ।
अतः वह सबसे पहले कैकेयी के पास पहुँचे तो उन्होंने देखा कि, कैकेई तो ज़मीन पर लेटी हुई थी । उनके बाल बिखरे हुए थे और गहने भी कक्ष में बिखरे हुए थे । उन्होंने कैकेयी से उनकी ऐसी अवस्था का कारण पूछा । कैकेयी ने दशरथ से वह दो वरदान माँगे जो उन्होंने कैकेयी को रणक्षेत्र में देने का वचन दिया था ।
पहले वरदान में कैकई ने भरत के लिए राजगद्दी माँगी और अपने दूसरे वरदान में राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा । उनकी इस बात को सुनकर राजा दशरथ का चेहरा डर से सफ़ेद पड़ गया । वह कुछ बोल ना सके और बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने कैकेयी को समझाने का बहुत प्रयास किया किन्तु कैकेयी अपनी ज़िद पर अड़ी रही और दशरथ रात भर ऐसे ही बेसुध पड़े रहे।
बीच बीच में होश आने पर वह गिड़गिड़ाते हुए कैकेयी को समझाने का प्रयास करते हैं किंतु कैकेयी टस से मस न हुई । सारी रात इसी प्रकार बीत गई ।
इन्हें भी पढ़ें :-
पाठ १ – अवधपुरी में राम (बाल रामकथा)
पाठ २ – जंगल और जनकपुर (बाल रामकथा)
दो वरदान पाठ के शब्दार्थ –
विद्वता – बुद्धिमानी
लोहा मानना – योग्यता स्वीकार करना, प्रभावित होना,
शिथिल – कमज़ोर,
भिन्न – अलग,
तुमुल ध्वनि – ज़ोर की आवाज़,
रौनक – शोभा, सर्वोपरी – सबसे ऊपर,
आग बबूला होना – अत्यधिक क्रोधित होना, संकट
विपत्ति – ख़तरा, अमंगल – अनिष्ट, विपत्ति,
बुद्धि फिरना – दिमाग़ का काम न करना,
उग्र -तेज़,
अगाध स्नेह – अत्यधिक प्रेम,
ज्येष्ठ पुत्र – बड़ा पुत्र,
आसन्न – निकट या पास का
अव्यक्त – जो प्रकट न हो
चेहरा तमतमाना – क्रोध से चेहरा लाल हो जाना,
प्रतीक्षा करना – इन्तज़ार करना,
भाँपना – अनुमान लगाना,
लक्ष्य प्रयोजन, उद्देश्य
गहमागहमी – चहलक़दमी
प्रतिहारी – दासी, द्वाररक्षक या द्वार रक्षिका ,
अस्वस्थ – बीमार, धरती आसमान करना – कुछ भी कर सकना, बड़े से बड़ा काम कर बैठना,
संकल्प – पक्का इरादा,
रणभूमि – युद्धभूमि,
भौंचक – आश्चर्य चकित,
वज्रपात होना – बहुत बड़ा संकट आना
अवाक् – चुप, स्तब्ध,
चेहरा सफ़ेद पड़ना – बहुत अधिक डर जाना,
कातर भाव से – दयनीय रूप से,
अड़े रहना – अपनी बात पर डटे रहना,
अनर्थ – बहुत अनुचित बात,
टस से मस न होना – अपनी बात पर अड़े रहना ।
दो वरदान के प्रश्न उत्तर –
प्रश्न १ – राजा दशरथ के मन में कौन-सी इच्छा बाक़ी थी ?
उत्तर – राम के राज्याभिषेक की इच्छा राजा दशरथ में मन में बाक़ी थी।
प्रश्न 2 – राम के राज्याभिषेक की घोषणा के समय भरत और शत्रुघ्न कहाँ थे ?
उत्तर – भरत और शत्रुघ्न उस समय अपने नाना केकयराज के घर गए हुए थे।
प्रश्न ३ – मंथरा कौन-सी बात से जलभुन गई थी?
उत्तर – राम का राजाभिषेक होने वाला है मंथरा इस बात से जलभुन गई थी।
प्रश्न ४ – मंथरा ने राम के राज्याभिषेक के बारे में सुनकर क्या समझा?
उत्तर – मंथरा ने समझा कि, यह कोई रानी कैकेयी के विरुद्ध राजा दशरथ का रचाया षड्यंत्र है।
प्रश्न ५ – मंथरा किसकी दासी थी?
उत्तर – मंथरा कैकेयी की दासी थी।
प्रश्न ६ – राम के राज्याभिषेक की खबर सुनकर कैकेयी को कैसा अनुभव हुआ ?
उत्तर – कैकेयी को प्रसन्नत का अनुभव हुआ, उसने ख़ुशी से अपने गले का हार उतारकर मंथरा को दे दिया।
प्रश्न ७ – कैकेयी की मति किसने फेरी थी?
उत्तर – मंथरा ने
प्रश्न ८ – रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से कितने वरदान माँगे थे?
उत्तर – दो वरदान
प्रश्न ९ -राजा दशरथ मूर्छित होकर जन्मीं पर क्यों गिर पड़े?
उत्तर – रानी कैकेयी के दो वरदान माँगने माँग लेने के कारण राजा दशरथ मूर्छित होकर ज़मीन पर गिर पड़े।
प्रश्न १० – रानी कैकेयी के दो वरदान कौन-कौन से थे?
उत्तर – पहला वरदान – भरत को राजसिंहासन प्राप्त हो। दूसरा वरदान – राम को चौदह वर्ष का वनवास।
प्रश्न ११ – राजा दशरथ रानी कैकेयी के दो वरदान के सामने क्यों विवश हो गये थे?
उत्तर – राजा दशरथ के विवश हो जाने के मुख्यतः तीन कारण थे –
- कैकेयी ने एक बार राजा दशरथ की रणक्षेत्र में सहायता की थी, उस समय राजा दशरथ बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने रानी कैकेयी से कहा था – मैं आपकी सहायता से बहुत प्रसन्न हूँ इसलिए तुम्हें दो वचन माँगने के लिए कहता हूँ, माँगो। उस समय तो रानी ने नहीं माँगा और कहा समय आने पर माँगूँगी राजन्।
- दूसरा एक कारण यह भी था कि, राजा दशरथ ने राम की सौगंध खा कर कैकेयी से कहा था कि, वे जो माँगेंगे मैं आपकी इच्छा अवश्य पूरा करूँगा ।
- तीसरा कारण था कि, कैकेयी ने राजा से अपने माँगे वचन/वरदान को राजा द्दशरथ वारा पूर्ण न किए जाने पर विष पीकर आत्महत्या कर लेने की बात कही, जिसके समक्ष राजा दशरथ विवश हो गये।
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