Hindi Poets Quotes हिंदी साहित्य के प्रेरणादायी अनमोल वचन साहित्यिक अनमोल विचार…
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इस लेख में हम UGC-NET/JRF Hindi Syllabus 2022 के सन्दर्भ में आपसे बात करेंगे, साथ ही साथ नेट/जे० आर० एफ० हिन्दी विषय का सम्पूर्ण Syllabus/पाठ्यक्रम भी आपके समक्ष रखेंगे, आप यदि यूजीसी नेट हिंदी सिलेबस/पाठ्यक्रम 2022 की PDF डाउनलोड करना चाहते हैं तो वह भी आपको उपलब्ध कराई जाएगी |
आप जानते हैं तुलसीदास जी ‘भक्ति काल’ के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं और हिंदी साहित्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में तुलसीदास जी के सम्बन्ध में प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, उनमें से कुछ विशेष प्रश्न तुलसीदास के विषय में कहे गए विद्वानों के कथन हैं जिन्हें आपको अवश्य ही संज्ञान में रखना चाहिए
‘भ्रमरगीत’ हिंदी साहित्य की एक विशेष काव्य-परम्परा है, जिसमें निर्गुण का खंडन कर सगुण का मंडन करना एवं ज्ञान/योग की तुलना में भक्ति/प्रेम को श्रेष्ठ ठहराना निहित है | पूरी जानकारी ⇒
सिद्धों की वाममार्गी भोगप्रधान योग–साधना पद्धति की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप आदिकाल में जिस ‘हठयोग–साधना’ पद्धति का आविर्भाव हुआ, हिंदी साहित्य में उसे ही ‘नाथ पंथ/सम्प्रदाय’ के नाम से जाना जाता है तथा इन नाथों से द्वारा रचा गया साहित्य ‘नाथ साहित्य’ कहा जाता है ।
सिद्ध साहित्य परिचय इस लेख में हम आपको ‘सिद्ध साहित्य’ से सम्बंधित…
आदिकालीन साहित्य में उपलब्ध होने वाली प्रवृत्तियाँ तत्कालीन परिस्थितियों के सन्दर्भ में देखी जानी चाहिए | इस काल में प्रमुख रूप से रासो साहित्य की रचना हुई अतः आदिकालीन साहित्य की प्रवृत्तियाँ रासो साहित्य की प्रवृत्तियाँ ही मानी जा सकतीं हैं |
इन ग्रंथों में पाई जाने वाली सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन निम्न शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है –
ऐतिहासिकता का महत्त्व –
(आदिकालीन साहित्य की परिस्थितियाँ एवं विशेषताएँ) भूमिका – आदिकाल साहित्य की परिस्थितियाँ…
काव्य प्रयोजन का अर्थ
काव्य की रचना करने का उद्देश्य | अर्थात् कविता या काव्य की रचना कवि किस उद्देश्य या फल प्राप्ति के लिए करता है.
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काव्य हेतु का अर्थ – काव्य हेतु से अर्थ/आशय – उस शक्ति या साधन से है जो, काव्य रचना में कवि की सहायता करते हैं । ‘
हेतु’ से आशय ‘कारण’ से है अर्थात् वह शक्ति या साधन जो कविता की रचना का कारण बनता है, ‘काव्य हेतु’ कहलाता है।
काव्य हेतु कितने माने गए हैं ?
काव्य हेतु के प्रमुख रूप से तीन भेद माने गए हैं –
प्रतिभा
व्युत्पत्ति
अभ्यासकाव्य हेतु PDF
विविध आचार्यों और विद्वानों ने काव्य के लक्षण निर्धारित किए हैं | अध्ययन की सुविधा के लिए हम उन्हें तीन वर्गों में बाँटते हैं –
संस्कृत आचार्यों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण
हिंदी विद्वानों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण
पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण
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