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दुलाईवाली कहानी की रचनाकार/लेखिका राजेन्द्र बाला घोष उर्फ ‘बंग महिला’ हैं । यह इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कहानी है, दुलाईवाली कहानी सर्वप्रथम 1907 ई० में ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने दुलाईवाली कहानी की गणना हिंदी की आरंभिक कहानियों में की है।
चंद्रदेव से मेरी बातें कहानी की लेखिका राजेन्द्र बाला घोष उर्फ बंग महिला हैं । पत्रात्मक शैली (प्रविधि) में लिखी यह हिन्दी की प्रथम कहानी है । इस कहानी का प्रकाशन सर्वप्रथम हिन्दी की कालजयी पत्रिका ‘सरस्वती’ में १९०४ ई० में हुआ था ।
अष्टछाप के आठ कवियों में चार वल्लभाचार्य जी के शिष्य हैं और चार विट्ठल नाथ जी के शिष्य । वल्लभाचार्य जी के चार शिष्य हैं – 1. सूरदास 2. परमानंद दास 3. कुम्भनदास ४. कृष्णदास । विट्ठल नाथ जी के चार शिष्य हैं – 1. नंददास 2. चतुर्भुजदास 3. गोविंदस्वामी ४. छीतस्वामी । इन आठ कवियों का समूह ही ‘अष्टछाप’ नाम से प्रसिद्ध है ।
शेखर एक जीवनी ‘सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी द्वारा रचित एक ‘मनोविश्लेषणात्मक उपन्यास’ है , जिसे पूर्वदीप्ति (फ्लैशबैक) शैली में लिखा गया है, इस उपन्यास पर रोमाँ रोलाँ के ‘ज्यां क्रिस्ताफ’ का प्रभाव है । इसके दो भाग हैं ।
हिंदी साहित्य की विभिन्न कसौटियों पर अपने कृतित्व पर भली-भांति खरे उतरने वाले ‘गोस्वामी तुलसीदास’ की जीवनी एवं उनकी साहित्यिक विशेषता का वर्णन करना सहज नहीं है। यदि उनकी ही भाषा में कहा जाए, तो – “सहस्र मुख न जाए बखानी ” अतः ऐसे कृतित्वकार के व्यक्तित्व एवं जीवन-यात्रा से पहले यह समझना आवश्यक है कि आखिर कैसे एक साधारण ‘रामबोला’ नामक व्यक्ति कविकुल चूड़ामणि ‘तुलसीदास’ बन गया।