अनुक्रमणिका
जंगल और जनकपुर
बाल रामकथा
Class 6 Hindi NCERT Solutions for Chapter 2
जंगल और जनकपुर पाठ २ बाल रामकथा नामक पुस्तक कक्षा ६ हिन्दी की एक पाठ्यपुस्तक है, यह पुस्तक राम की कथा का मनोरम ढंग से वर्णन करती है, जिससे बालक एवं बालिकाएँ राम के जीवन से, उनके चरित्र से, अच्छी बातें सीख सकें। यहाँ पर Class 6 Hindi के Solutions के लिए दूसरे पाठ ‘जंगल और जनकपुर’ पाठ का सारांश, शब्दार्थ एवं महत्त्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर दिए जा रहे हैं, आप बाल रामकथा Chapter 2 की PDF भी प्राप्त कर सकते हैं, जो आपको इस लेख के अंत में प्राप्त हो जाएगी आप डाउनलोड कर सकते हैं।
पाठ १ – अवधपुरी में राम (बाल रामकथा)
Class 6 Hindi बाल रामकथा जंगल और जनकपुर
Jungle aur Janakpur Summary
पाठ का सारांश
महर्षि विश्वामित्र राम-लक्ष्मण को लेकर, राजमहल से निकल कर सरयू नदी की ओर चल पड़े। महर्षि के आश्रम तक पहुँचने के लिए उन्हें नदी पार करनी थी। महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या के निकट नदी पार करने के स्थान पर सरयू नदी के किनारे-किनारे चलते हुए सरयू नदी के दक्षिणी तट पर पहुँच गए। बहुत दूर तक वे नदी के किनारे-किनारे चलते रहे और अयोध्या नागरी बहुत पीछे छूट गई। लेकिन राम और लक्ष्मण के चेहरों पर थकान का कोई चिह्न नहीं था।
महर्षि ने पीछे मुड़कर उनसे कहा कि, आज रात हम नदी के तट पार ही विश्राम करेंगे। फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए राम-लक्ष्मण से कहा कि, आज वह उन दोनों को एक ऐसी विद्या सिखाएँगे कि, कोई भी कभी, यहाँ तक कि सोते समय भी उन पर आक्रमण नहीं कर सकेगा। ऐसा कहकर उन्होंने राम और लक्ष्मण को ‘बला-अतिबला’ नामक दो गूढ़ विद्याएँ सिखाईं ।
अगले दिन उनकी यात्रा फिर आरंभ हुई। चलते-चलते वे तीनों (विश्वामित्र और राम-लक्ष्मण) ऐसे स्थान पर पहुँचे जहाँ पर गंगा और सरयू नदी आपस नैन मिल रहीं थी और आगे का रास्ता घने जंगल से होकर जाता था। अतः महर्षि ने आगे की यात्रा अगले दिन करने का निश्चय किया। अगले दिन सुबह नाव से गंगा नदी पार की । आगे घना जंगल था । इतना भयानक और डरावना कि, सूरज की किरणें भी ज़मीन तक नहीं पहुँचती थी। उन्होंने उन्हें बताया कि, राक्षसी ‘ताड़का’ इसी वन में रहती है। वह यहाँ से आने-जाने वालों की हत्या कर देती है। तुम लोगों को उस ‘ताड़का’ राक्षसी का वध करके इस वन को उसके भय से मुक्त करना है।
राम ने महर्षि की आज्ञा प्राप्त करके धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर एक ज़ोरदार टंकार की जिसे सुनकर ‘ताड़का’ क्रोधित हो गई और उसने राम-लक्ष्मण पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए । राम का एक बाणताड़का के हृदय पर लगा और उसकी मृत्यु हो गई। ताड़का के मारते ही वन का स्वरूप बदल गया और फिर वहाँ ताड़का वन से सुंदर वन बना गया । महर्षि का आश्रम वहाँ से बहुत दूर नहीं था परंतु आधी रात हो चुकी थी बाक़ी दूरी उन्होंने अगले दिन तय करने का निर्णय किया ।
अगली सुबह बहुत सुहावनी थी। जंगल का भयानक शोर अब बदलकर पशु-पक्षियों के कलरव से गूँज रहा था। अंतिम पड़ाव महर्षि विश्वामित्र का सिद्धाश्रम था। वहाँ के आश्रमवासियों ने उनका स्वागत किया। वहाँ पहुँचकर महर्षि विश्वामित्र यज्ञ की तैयारियों में लग गए। वे आश्रम और यज्ञ की सुरक्षा का भार राम-लक्ष्मण को सौंपकर निश्चिंत हो चुके थे।
अनुष्ठान आरंभ हो गया। अनुष्ठान (यज्ञ) का अंतिम दिन था कि, अचानक पूरा आसमान भयंकर आवाजों से भर गया । सुबाहु और मारीच नामक नामक राक्षसों ने सेना के साथ आश्रम पर हमला कर दिया। राम ने बान उठाकर मारीच पर निशाना साधा। राम के एक बाण से घायल होकर मारीच मूर्च्छित होकर बहुत दूर, समुद्र के किनारे जा गिरा और होश में आते ही दक्षिण दिशा की ओर भाग गया। राम के दूसरे बाण से सुबाहु मारा गया। सुबाहु के मरते ही राक्षस सेना में भगदड़ मच गई। लक्ष्मण ने कुछ राक्षसों को मार डाला और कुछ भाग गए। इस प्रकार महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ निर्विघ्न संपन्न हो गया ।
राजा ने महर्षि को प्रणाम करके उनसे अगले आदेश की प्रार्थना की तो महर्षि ने उन्हें अपने साथ मिथिला चलने के लिए कहा। जहाँ वे उन्हें महाराज जनक के अद्भुत शिव धनुष को दिखाना चाहते थे। सोन नदी पार करके वे मिथिला में पहुँचे। राजा जनक ने महल के बाहर आकर स्वयं उनका स्वागत किया। अगले दिन सभी यज्ञशाला में उपस्थित हुए जहाँ अनेक आमंत्रित लोग, ऋषि-मुनि और राजकुमार आदि विद्यमान थे । विदेहराज (मिथिला नरेश जनक) के आदेश पर अनुचर ‘शिव-धनुष’ को यज्ञशाला में लाए।
राजा जनक ने अपनी समस्या महर्षि विश्वामित्र को बताते हुए कहा कि, उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि, जो भी व्यक्ति इस धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा मैं उसी से अपनी पुत्री का विवाह करूँगा, किंतु लगता है कि, ऐसा संभव नहीं है। अनेक राजकुमारों ने प्रयास किया किंतु धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर वे इसे हिला तक नहीं पाए।
राजा जनक को इस प्रकार चिंतित देखकर गुरु विश्वामित्र ने राम को धनुष उठाने का संकेत किया। राम ने संकेत मिलने पर उसे सहज ही उठा लिया जिसे देखकर यज्ञशाला में उपस्थित सभी लोग चकित रह गए। राम ने विश्वामित्र से आज्ञा लेकर धनुष पर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ानी चाही, वह राम के झुकाते ही एक खिलौने की भाँति टूट गया।
राजा जनक की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। उन्हें अपनी पुत्री सीता के लिए सुयोग्य वर मिल गया था। सभी घर-द्वार सजने लगे, घर-घर में मंगलगीत गाए जाने लगे। प्रत्येक व्यक्ति राम-सीता की जोड़ी देखने के लिए आकुल था।राजा जनक ने लक्ष्मण का विवाह अपनी छोटी पुत्री उर्मिला से व भरत और शत्रुघ्न का विवाह मांडवी और श्रुतकीर्ति से करने का प्रस्ताव रखा जिसे महाराज दशरथ ने सहर्ष स्वीकार किया। विवाह होने के पश्चात् कुछ दिन तक बारात मिथिला में ठहरने के बाद अयोध्या वापस आ गयी । जहाँ सभी ने मंगलगीत गा कर उनका स्वागत किया ।
इसे भी देखें – वह चिड़िया जो कविता भावार्थ
Class 6 Hindi जंगल और जनकपुर NCERT Solutions
बाल रामकथा पाठ २ – जंगल और जनकपुर
पाठ के शब्दार्थ :-
ओझल हो जाना = दिखाई न देना। बसेरे = घोंसले, वह स्थान जहाँ चिड़िया रहती है। मटमैला = मिट्टी जैसा। कर्कश = कठोर, आश्वस्त करना = विश्वास दिलाना, प्रत्यंचा = धनुष की डोरी, टंकार = धनुष की डोरी खींचकर छोड़ने पर निकालने वाली आवाज़, विशालकाय = विशाल आकार वाले, भयमुक्त = भय से रहित, सरसराहट = पत्तियों के बीच से हवा निकालने से उत्पन्न हुई आवाज़, मनोहारी = मन को हरने वाला, अच्छा लगने वाला, आश्वस्त = निश्चिंत, निर्विघ्न = बिना किसी बाधा के, चौकस = सावधान, तूरीण = तरकश, स्थिति = हालत, दशा, धावा बोलना = हमला करना, प्राण निकलना = मर जाना, मृत्यु हो जाना। अद्भुत = विचित्र, विशेष।
चकित = आश्चर्य, व्यवस्था = इंतज़ाम, उल्लेख करना = ज़िक्र करना, वर्णन करना। अनुचर = नौकर-चाकर, संकेत = इशारा। वत्स = बेटा, हतप्रभ = हैरान, चरम = ऊँचाई पर, आनन-फ़ानन में = बहुत जल्दी में, तोरणद्वार = स्वागत द्वार, सुवासित = सुगंधित, वंदनवार = फूल-पत्तियों की बनी झालर, जो ख़ुशी के अवसर ओर घर के दरवाज़ों पर बाँधी जाती है। मंगलगीत = बधाई के गीत, दर्शक = देखने वाले।
बाल रामकथा पाठ २ (जंगल और जनकपुर)
जंगल और जनकपुर पाठ २ के महत्त्वपूर्ण प्रश्न–उत्तर
Most Important MCQ’S
प्रश्न १- अयोध्या नगर कौन सी नदी के तट पर बसा हुआ था – सरयू
प्रश्न २- महर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को कौन-सी विद्याएँ सिखाईं – बला-अतिबला
प्रश्न ३ –विश्वामित्र, राम व लक्ष्मण कौन-सी नदी के तट पर यात्रा कर रहे थे – सरयू नदी के तट पर
प्रश्न ४ – विश्वामित्र, राम-लक्ष्मण तीनों रात्रि प्रहार में कहाँ रुके हुए थे – संगम तट पर बने आश्रम में
प्रश्न ५ – नदी पार जंगल में कौन – सी राक्षिसा रहती थी – ताड़का
प्रश्न ६ – सुंदर वन का नाम ताड़का वन क्यों पड़ा था – ताड़का राक्षिसा के भय के कारण
प्रश्न ७ – ताड़का का वध किसने किया – राम जी ने
प्रश्न ८ – विश्वामित्र ने अपनी प्रसन्नता किस प्रकार ज़ाहिर की – उन्होंने राम को गले से लगाया, दोनों राजकुमारों को सौ तरह के नए अस्त्र-शस्त्र दिए, और उनका प्रयोग करने का भी तरीक़ा सिखाया।
प्रश्न ९ – ताड़का के वध के बाद जंगल की तस्वीर किस प्रकार बदली – ताड़का के वध के बाद वह सुंदर वन बन गया था, भयानक आवाज़ें ग़ायब हो चुकी थीं, पत्तों से गुजरती हवा थी, उसकी सरसराहट का संगीत था, चिड़ियों की चहचहाहट थे, शांति थी, वन की तस्वीर बदल गई थी।
प्रश्न १० – महर्षि विश्वामित्र ने आश्रम की रक्षा कि ज़िम्मेदारी किसे सौंपी थी – राम और लक्ष्मण को
प्रश्न ११– यज्ञ के अंतिम दिन आश्रम पर किसने आक्रमण किया – सुबाहु और मारीच ने
प्रश्न १२ – सुबाहु और मारीच को किसने परास्त किया – राम ने
प्रश्न १३ -सुबाहु और मारीच की माँ कौन थी – ताड़का
प्रश्न १४ – विदेहराज कौन हैं – राजा जनक
प्रश्न १५ – राजा जनक क्यों चिंतित थे – उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि, जो शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उनके साथ ही वे अपनी पुत्री का विवाह करेंगे, लेकिन कोई भी उन्हें उस योग्य नहीं लगा जो शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा सके ।
प्रश्न १६ – शिव धनुष किसने तोड़ा था – राम ने
प्रश्न १७ – राम का विवाह किनके साथ हुआ – सीता
प्रश्न १८ – लक्ष्मण का विवाह किनके साथ हुआ – उर्मिला
प्रश्न १९ – भरत ने किनसे विवाह किया – माण्डवी
प्रश्न २० – शत्रुघ्न का विवाह किनके हुआ – श्रुतकीर्ति
प्रश्न २१ – माण्डवी और श्रुतकीर्ति किनकी पुत्री थीं – कुशध्वज की, जो राजा जनक के छोटे भाई थे।
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