Home काव्यशास्त्र काव्य लक्षण || Kaavy Lakshan in Hindi || PDF

काव्य लक्षण || Kaavy Lakshan in Hindi || PDF

by हिन्दी ज्ञान सागर
6146 views
काव्य लक्षण -  Kavy Lakshan in Hindi

अनुक्रमणिका

काव्य लक्षण || Kaavy Lakshan in hindi ||

काव्य लक्षण क्या है ?

किसी रचनाकार द्वारा मनोबुद्धि से सृजित शाब्दिक संयोजन जो भावानुभूति व रसानुभूति में सहायक हो, काव्य कहलाता है |
यह छंदबद्ध या छंदमुक्त एक ऐसी रचना होती है, जिसके माध्यम से सहृदय (जो ह्रदय आनंद प्राप्त करता हो) आनंद की प्राप्ति करता है | इन आनंद के क्षणों में वह ममत्त्व व परत्व के भावों से मुक्त हो साधारणीकरण दशा में पहुँच जाता है |
वर्तमान में काव्य शब्द का प्रयोग केवल कविता को दर्शाने के लिए किया जाता है जबकि, साहित्य शब्द को व्यापक अर्थों में लेते हुए विविध गद्य व पद्य विधाओं की अभिव्यक्ति के लिए व्यवहृत किया जाता है |
संस्कृत आचार्यों ने ‘साहित्य’ शब्द की अभिव्यक्ति के लिए काव्य शब्द का ही प्रयोग किया था | उनकी दृष्टि से काव्य शब्द बहुत व्यापक और सूक्ष्म अर्थों की अभिव्यक्ति देने वाला था |
विविध आचार्यों और विद्वानों ने काव्य के लक्षण निर्धारित किए हैं | अध्ययन की सुविधा के लिए हम उन्हें तीन वर्गों में बाँटते हैं –
  • संस्कृत आचार्यों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण
  • हिंदी विद्वानों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण
  • पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण

काव्य लक्षण

kavya lakshan in sanskrit

संस्कृत आचार्यों द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण :-

भारत में संस्कृत आचार्यों की एक लम्बी परंपरा रही है | इनमें से कई आचार्यों ने काव्य को परिभाषित करने का प्रयास किया है | उनमें से कुछ प्रमुख संस्कृत आचार्यों के द्वारा प्रदत्त काव्य लक्षण इस प्रकार हैं –
काव्य लक्षण kavya lakshan in sanskrit

संस्कृत आचार्यों द्वारा दिए गए काव्य के लक्षण

विस्तारपूर्वक संस्कृत काव्य लक्षण

(Kaavy Lakshan in Sanskrit)

  • अग्निपुराण काव्य लक्षण –

काव्य को परिभाषित करने का सर्वप्रथम प्रयास ‘अग्निपुराण’ में किया गया, ऐसा माना जा सकता है | ‘अग्निपुराण’ के 337 वें अध्याय के 607 वें श्लोक में वर्णित है कि –

[blockquote align=”none” author=”अग्निपुराण”]

”संक्षेपाद्वाक्यमिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली |
काव्यं स्फुदलङ्कारं गुणवद् दोष वर्जितम् ||”

[/blockquote]

अर्थ – संक्षेप में इष्ट अर्थ को अभिव्यक्ति देने वाली अलङ्कार युक्त व गुणयुक्त एवं दोषरहित रचना काव्य है |
  • भरतमुनि काव्य लक्षण –

आचार्य भरतमुनि ने अपने ग्रन्थ ‘नाट्यशास्त्र’ में काव्य के लक्षण को इस प्रकार परिभाषित किया है –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य भरतमुनि”]

”मृदुललित पदाठ्यं गूढ़ शब्दार्थहीनं
जनपद सुखबोध्यं युक्तिमन्नृत्य योज्यम्
बहुकृत संमार्ग संधि संधान युक्तं,
सम्भवति शुभकाव्यं नाटकं प्रेक्षकाणाम् ||”

[/blockquote]

अर्थ – आचार्य भरत ने मृदु, लालित्य, गूढ़ शब्दार्थहीनता, सर्वसुगमता, युक्तिमत्ता, नृत्योपगीता, रस प्रवाहिनी और संधियुक्त नाटक को शुभ काव्य कहा है |

भामह का काव्य लक्षण –

आचार्य ‘भामह’ ने अपने ग्रन्थ ‘काव्यालंकार’ के प्रथम परिच्छेद में ‘काव्य के लक्षण’ पर विचार करते हुए कहा है –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य ‘भामह”]

”शब्दार्थों सहितौ काव्यम्” |
अर्थात् शब्द और अर्थ का सहभाव ही काव्य है |

[/blockquote]

रुद्रट –

इन्होंने काव्य के लक्षण के विषय में कहा है कि –

[blockquote align=”none” author=”रुद्रट”]

‘ननु शब्दार्थो काव्यम्’
अर्थात् शब्द और अर्थ के मेल को काव्य कहते हैं |

[/blockquote]

कुंतक –

आचार्य कुंतक ने वक्रोक्ति को प्रमुखता देते हुए कहा कि –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य कुंतक”]

शब्दार्थो सहितौ’वक्र कवि व्यापारशालिनी | बन्धे व्यवस्थितौ काव्यम् |’
अर्थात् सुव्यवस्थित बंध में बंधा वक्र व्यापारशाली शब्दार्थ काव्य है |

[/blockquote]

दण्डी –

आचार्य दण्डी का मत है कि –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य दण्डी”]

‘शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली’
अर्थात् इष्ट अर्थ से युक्त पदावली काव्य है ।

[/blockquote]

आनंदवर्धन – ”

[blockquote align=”none” author=”आनंदवर्धन”]

शब्दार्थं शरीरं तावत् काव्यम् |” ”ध्वनिरात्मा काव्यस्य |”
कहकर दर्शाया कि, शब्दार्थ रूप शरीर काव्य है और ध्वनि उसकी आत्मा है |

[/blockquote]

आचार्य वामन –

आचार्य वामन ‘ने काव्यालंकार सूत्रवृत्ति’ में –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य वामन”]काव्यं ग्राह्यमालंकारात् सौन्दर्यलंकारः’ ‘स च दोषगुणालङ्कार हानादानाभ्याम्’ और ‘काव्य शब्दोयम्’ गुणालङ्कार संस्कृतयोरवर्त्तते’ कहा है [/blockquote]

उक्त कथनों के अनुसार आचार्य वामन ने गुण व अलंकार से संस्कारित शब्दार्थ को काव्य माना है |

आचार्य मम्मट –

मम्मट ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा कि –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य मम्मट”]

तददोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलङ्कृति पुनः क्वापि |”
अर्थात् दोषरहित, गुणसहित और कहीं- कहीं अलंकार रहित काव्य है ।

[/blockquote]

जयदेव –

इन्होंने ‘चंद्रालोक’ में वर्णित किया है कि –

[blockquote align=”none” author=”जयदेव”]

”अंगीकरोति यः काव्यं शब्दार्थावनलंकृति |
असौ न मन्यते कस्मादनुष्ण मनलंकृति ||”

[/blockquote]

आगे वे लिखते हैं कि –

[blockquote align=”none” author=””]

”निर्दोषा लक्षणवती सरीतिर्गुण भूषिता |
सालंकार रसानेक वृत्ति वाक्काव्य नामवाक् ||”

[/blockquote]

अर्थात् दोषरहित तथा रीति, गुण, अलंकार, रस वृत्ति से युक्त वाक्य ही काव्य है |

भोज –

इन्होंने अपने ग्रन्थ ‘सरस्वती कंठाभरण’ में लिखा है कि –

[blockquote align=”none” author=”भोज”]

”निर्दोषं गुणवत् काव्यमलंकारैलंकृतम् |
रसान्वितं कविं कुर्वन् कीर्तति प्रीतिंच विन्दुति ||”
अर्थात् दोष मुक्त, गुण युक्त, अलंकारों से अलंकृत सरस काव्य कीर्ति व यश प्रदान करता है |

[/blockquote]

हेमचंद –

आचार्य हेमचंद ने अपने ‘ग्रन्थ काव्यानुशासन’ में लिखा है कि –
[blockquote align=”none” author=”आचार्य हेमचंद”]”अदोषौ सगुणौ सालंकारौ च शब्दार्थौ काव्यं” अर्थात् दोष रहित, गुण व अलंकार सहित शब्दार्थ काव्य है |[/blockquote]

विश्वनाथ –

आचार्य विश्वनाथ का मत कि –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य विश्वनाथ”]

”वाक्यम् रसात्मकं काव्यम् |”
अर्थात् रसात्मक वाक्य ही काव्य है |

[/blockquote]

जगन्नाथ –

आचार्य जगन्नाथ का मत है कि –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य जगन्नाथ”]

”रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् |”
अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द काव्य है |

[/blockquote]

इन्हें भी पढ़ें – हिंदी साहित्य काल विभाजन एवं नामकरण

Kaavy Lakshan in HIndi

काव्य लक्षण हिंदी

काव्य लक्षण हिंदी

काव्य लक्षण हिंदी

हिंदी के कई मध्यकालीन आचार्यों व आधुनिक कालीन विद्वानों ने काव्य को परिभाषित करने का प्रयास किया है | उनमें से कुछ हिंदी के प्रमुख आचार्यों व विद्वानों के द्वारा दिए गए काव्य के लक्षण इस प्रकार हैं –

केशवदास –

आचार्य केशवदास ने कहा है कि –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य केशवदास”]

जदपि सुजाति सुलच्छिनी, सुबरन सरस सुवृत्त
भूषन बिनु न राजई, कविता, वनिता मित्त ||’

[/blockquote]

इस प्रकार केशव ने कविता के लिए अलंकारों की महत्ता को स्वीकारा |

श्री पति –

इनका कहना है कि, यद्यपि काव्य दोषरहित और अलंकार व गुण सहित हो फिर भी रस के बिना उसकी श्रेष्ठता संभव नहीं है | वे लिखते हैं कि –

[blockquote align=”none” author=”श्री पति”]

‘यदपि दोष बिनु गुण सहित, अलंकार सों लीन |
कविता बनिता छबि नहीं, रास बिन तदपि प्रवीन |”
वे कहते हैं –
”शब्द अर्थ बिन दोष गुन अलंकार रसपान |
ताको काव्य बखानिये श्रीपति परम सुजान ||”

[/blockquote]

चिंतामणि –

अपने ग्रन्थ ‘कविकल्पतरु’ में आचार्य चिंतामणि ने गुण व अलंकार सहित, दोष मुक्त शब्दार्थ को काव्य माना है | वे लिखते हैं –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य चिंतामणि”]

”सगुणालंकारन सहित, दोष रहित जो होइ |
शब्द अर्थ ताको कवित्त, करात विबुध सब कोइ |”

[/blockquote]

कुलपति मिश्र –

अपने ग्रन्थ ‘रस रहस्य’ में काव्य लक्षण पर विचार करते हुए कुलपति मिश्र का कथन है कि –

[blockquote align=”none” author=””कुलपति मिश्र””]

‘जग ते अद्भुत सुख सदन, शब्दरु अर्थ कवित्त |
यह लच्छन मैंने कियो समुझि ग्रन्थ बहु चित्त |”
अर्थात् अलौकिक आनंद प्रदान करने वाला शब्दार्थ काव्य है |
उनका मानना है कि –
”दोषरहित अरु गुणसहित, कछुक अल्प अलंकार |
सबद अरथ सो कबित है, ताको करो विचार |”

[/blockquote]

इस प्रकार उन्होंने दोष रहित, गुणसहित और अल्प अलंकार युक्त शब्दार्थ काव्य को काव्य का लक्षण माना है |

देव –

इन्होंने ने अपने ग्रन्थ ‘शब्द रसायन’ में काव्य पर विचार करते हुए कहा कि –

[blockquote align=”none” author=”देव”]

”शब्द सुमति मुख ते कढ़ै, लै पद वचननि अर्थ |
छंद, भाव, भूषण, सरस, सो कहि काव्य समर्थ ||”
अर्थात् छंद, भाव, अलंकार और सरसता युक्त वे शब्द जो अर्थ अभिव्यक्ति में सक्षम हों, काव्य कहलाते हैं |

[/blockquote]

सोमनाथ –

[blockquote align=”none” author=”सोमनाथ”]

” सगुन पदारथ दोष बिनु, पिंगल मत अविरुद्ध |
भूषण सुत कवि कर्म को, सो कवित्त कहि सुद्ध ||”

[/blockquote]

भिखारीदास –

इनका का मत है कि –

[blockquote align=”none” author=”भिखारीदास”]

‘जाने पदारथ दोष बिनु, पिंगल मत अविरुद्ध |
सो धुनि अर्थह्न वाक्यह्न ले गुन, शब्द अलंकृत सों रति पाकी ||”

[/blockquote]

ठाकुर –

कवि ठाकुर का मानना है कि –
[blockquote align=”none” author=”कवि ठाकुर”]”पंडित और प्रवीनन को जोई, चित्त हरै सो कवित्त कहावै |”[/blockquote]

महावीर प्रसाद द्विवेदी –

[blockquote align=”none” author=”महावीर प्रसाद द्विवेदी”]”ज्ञानराशि के संचित कोश का नाम ही साहित्य है |”[/blockquote]

आचार्य रामचंद्र शुक्ल –

[blockquote align=”none” author=”आचार्य रामचंद्र शुक्ल”]

”जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है, उसी प्रकार ह्रदय की मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है |
हृदय की इसी मुकि की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्दविधान करती है, उसे कविता कहते हैं |”

[/blockquote]

जयशंकर प्रसाद –

[blockquote align=”none” author=”जयशंकर प्रसाद”]”काव्य आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति है, जिसका सम्बन्ध विश्लेषण, विकल्प या विज्ञान से नहीं है | वह एक श्रेयमयी प्रेय रचनात्मक ज्ञानधारा है |”[/blockquote]

मुंशी प्रेमचंद –

‘[blockquote align=”none” author=”प्रेमचंद”]’साहित्य जीवन की आलोचना है | चाहे वह निबंध के रूप में हो, चाहे कहानी या काव्य के, उसमें हमारे जीवन की व्याख्या और आलोचना होनी चाहिए |”[/blockquote]

महादेवी वर्मा –

[blockquote align=”none” author=”महादेवी वर्मा”]”कविता कवि-विशेष की भावनाओं का चित्रण है और वह चित्रण इतना ठीक है कि उसमें वैसी ही भावनाएँ किसी दूसरे के हृदय में आविर्भूत होती हैं |”[/blockquote]

सुमित्रा नंदन पंत –

[blockquote align=”none” author=”सुमित्रा नंदन पंत”]”कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की वाणी है |”[/blockquote]

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी –

[blockquote align=”none” author=”हजारी प्रसाद द्विवेदी”]”जो वाग्जाल मनुष्य को दुर्गति, हीनता और परमुखापेक्षिता से न बचा सके, जो उसकी आत्मा को तेजोदीप्त न कर सके, जो उसके हृदय को पर दुःखकातर और संवेदनशील न बना सके, उसे साहित्य कहने में संकोच होता है।”[/blockquote]

डॉ. नगेंद्र –

[blockquote align=”none” author=”डॉ. नगेंद्र”]

आत्माभिव्यक्ति ही वह मूल है जिसके कारण कोई व्यक्ति साहित्यकार और उसकी कृति साहित्य बन पाती है।”
“रमणीय अनुभूति, उक्ति वैचित्र्य और छंद – इन तीनों का समंजित रूप ही कविता है।

[/blockquote]

डॉ. गणपति चंद्र गुप्त –

[blockquote align=”none” author=”डॉ. गणपति चंद्र गुप्त”]

“साहित्य भाषा के माध्यम से रचित वह सौंदर्य या आकर्षण से युक्त रचना है जिसके अर्थबोध से सामान्य व्यक्ति को भी आनंद की प्राप्ति होती है।”

[/blockquote]

इन्हें भी पढ़ें – हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार PDF

पाश्चात्य विद्वानों द्वारा प्रदत्त

काव्य लक्षण

 

अरस्तू काव्य लक्षण –

“कविता एक कला है। कला प्रकृति का अनुकरण है।”
“भाषा के माध्यम से होने वाली अनुकृति ही काव्य है ।”

ड्राइडन –

“काव्य रागात्मक और छंदोबद्ध भाषा के माध्यम से प्रकृति का अनुकरण है।”

वर्ड्सवर्थ –

“कविता शांति के क्षणों में स्मरण किए गए प्रबल मनोवेगों का सहज उच्छलन है ।”

जॉनसन –

“कविता छंदोमयी रचना है ।”
“कविता वह कला है जो कल्पना की सहायता से विवेक द्वारा सत्य और आनंद का संयोजन करती है।”

कॉलरिज –

“उत्तम क्रम में बद्ध उत्तम शब्दों को कविता कहते हैं।”

शैली –

“काव्य सर्वाधिक सुखी और श्रेष्ठतम हृदयों के श्रेष्ठतम क्षणों का लेखा-जोखा है ।”
” काव्य कल्पना की अभिव्यक्ति है ।”

मैथ्यू अर्नाल्ड –

“काव्य से हमारा तात्पर्य उस कला से है, जो शब्दों के प्रयोग के माध्यम से कल्पना का मायाजाल बुनती है ।”

जॉन स्टुअर्ट –

“कविता क्या है? यह तो केवल वे विचार और शब्द अर्थात् शब्दार्थ हैं, जिनसे भाव स्वतः मूर्तिमान होता है ।”

हेजलिट –

“काव्य कल्पना और भावों की भाषा है ।”

हडसन –

“भाव व कल्पना के द्वारा जीवन की व्याख्या ही काव्य है ।”

मिल्टन –

“सादगी, ऐंद्रियता और रागात्मक कविता के लिए अनिवार्य है।”

डेनिस –

“काव्य भावात्मक और विस्तृत भाषण के द्वारा प्रकृति की अनुकृति है ।”

काव्य लक्षण – निष्कर्ष

  • निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि जीवन की सार्थक शाब्दिक अभिव्यक्ति का नाम ही काव्य है। यह मानव मन के गहरे कोने तक झाँककर उसकी अनकही को जनकही बनाता है।
  • साहित्य उसके सुख-दुःख पीड़ा-दर्द में मानव का सच्चा साथी बन अपनी सार्थकता सिद्ध करता है।
  • यह एक प्रकार से मानव के मनोभावों की शाब्दिक एवं कलात्मक अभिव्यक्ति है। इसके माध्यम से मनुष्य अपने सुख-दुःख, हर्ष-विषाद और जीवन की विविध स्थितियों को वाणी प्रदान करता आया है।
  • यह अपने समय का साक्षी और भविष्य के लिए सच्चा दस्तावेज होता है। आदमी को आदमीयत देना ही साहित्य का सच्चा कार्य है।यह अपने दायित्व का निर्वाह भलीभाँति करता है।
  • समाज के सुख और वैभव पूर्ण काल में यह मानव मन में राग-रंग से युक्त भावों की अनुगूँज बनता है तो त्रासद पूर्ण जीवन की स्तिथियों में यह उनकी करुण चीत्कार बनकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।

Related Posts

2 comments

Shiva जुलाई 23, 2022 - 2:24 अपराह्न

Really sublime content.

Reply
Shiva जुलाई 23, 2022 - 2:30 अपराह्न

Best for one day exam

Reply

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Don`t copy text!