अनुक्रमणिका
कबीर के दोहे
जिनसे जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है
Kabir ke Dohe with Hindi Meaning
कबीर के दोहे पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं, क्योंकि उनके दोहों में जीवन जीने की प्रेरणा है, वास्तविक ज्ञान है, जो सत्य से हमारा परिचय कराता है । जीवन से जो अनुभव/सीख कबीरदास जी को मिले उसे उन्होंने अपने दोहों में समेट लिया, जिसे हम कबीर की साखियाँ कहते हैं । साखी का अर्थ है साक्षी अर्थात् जिसने अपनी आँखों से देखा हो ।
कबीर अपने जीवन के अनुभव के बारे में कहते हैं – मैं कहता आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी । कबीर ने जो प्रत्यक्ष अनुभव किया उसे अपने दोहों में उकेरा, इसे सिर्फ कागज़ पर लिखे लेख न समझा जाए । कबीर ने स्वयं दोहे नहीं लिखे, उनके शिष्य धर्मदास द्वारा उन्हें संकलित एवं संपादित कराया गया था। कबीर के दोहों ने जीवन को एक नयी दृष्टि दी, प्रत्यक्ष ज्ञान जो उनकी दृष्टि में सच्चा ज्ञान है, उससे हमें परिचित करवाया है जिसकी अनुभूति हमें उनके दोहों में होती है ।
कबीर की वाणी में प्रखरता है, वे जो बोलते हैं दो टूक बोलते हैं, बेबाकीपन (निर्भीकता) उनका स्वभाव है । बाह्याडम्बर पर उन्होंने पुरजोर प्रहार किया, और जो यथार्थ था उसका समर्थन किया, क्योंकि कबीर एकेश्वरवाद के समर्थक थे । उनका मानना था ईश्वर प्रत्येक प्राणी के मन में समान रूप से बसे हुए हैं, उसी निर्गुण ब्रह्म/ईश्वर की हमें आराधना करनी चाहिए ।
कबिरा की अमरित बानी – कबीर के दोहे
न जानों बैकुंठ कहाँ हैं?”
आद्यगुरु शंकराचार्य की भांति ही कबीर की विचारधारा भी अद्वैतवाद अथवा एकेश्वरवाद की थी। किन्तु, उनके वास्तविक गुरु विशिष्टाद्वैतवादी रामानुजाचार्य के शिष्य सन्त रामानन्द थे। रामावत संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु रामानन्द ने ही कबीर को ‘राम’ नाम का वास्तविक अर्थ बताया। कबीर को राम नाम रामानन्द से ही प्राप्त हुआ, पर उनके राम आगे चलकर रामानन्द के राम से भिन्न हो गए। कबीर ने दूर-दूर तक देशाटन किया। साथ ही हठयोगियों तथा सूफी फकीरों का भी सत्संग किया। अतः उनकी प्रवृत्ति निर्गुण उपासना की ओर दृढ़ हो गई, जिसे कबीर ने अपनी ‘पंचमेल खिचड़ी’ की भाषा में इस प्रकार प्रस्तुत किया :-
कबीर दास के दोहे अर्थ सहित
Kabir Ke Dohe in Hindi With Meaning
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