अनुक्रमणिका
काव्य प्रयोजन
|| Kavya Prayojan in Hindi and Sanskrit ||
काव्य प्रयोजन का अर्थ है – काव्य की रचना करने का उद्देश्य | अर्थात् कविता या काव्य की रचना कवि किस उद्देश्य या फल प्राप्ति के लिए करता है |
तात्पर्य –
मम्मट द्वारा प्रतिपादित काव्य के प्रयोजन :-
- हिंदी जगत् में आचार्य मम्मट द्वारा अपने ग्रन्थ ‘काव्यप्रकाश’ में जो काव्य प्रयोजन वर्णित किया गया है, वह ही बहुप्रचलित व सर्वमान्य है |
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काव्य प्रयोजन विषयक विविध मत –
संस्कृत आचार्यों द्वारा स्वीकृत काव्य प्रयोजन
आचार्य भरतमुनि –
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यथा –
आचार्य भामह –
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आचार्य वामन –
अभिनव गुप्त –
आनंदवर्धन –
रुद्रट –
आचार्य कुंतक –
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राजशेखर –
दण्डी –
विश्वनाथ –
मम्मट –
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हिंदी आचार्यों द्वारा स्वीकृत काव्य प्रयोजन-
कुलपति –
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देव –
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भिखारीदास –
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तुलसीदास –
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इन्हें भी देखें –
काव्य लक्षण
आधुनिक कालीन हिंदी आलोचकों द्वारा प्रदत्त काव्य प्रयोजन
महावीर प्रसाद द्विवेदी –
मैथिली शरण गुप्त –
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आचार्य रामचंद्र शुक्ल –
नंददुलारे वाजपेयी –
जयशंकर प्रसाद –
सुमित्रा नंदन पंत –
इन्हें भी देखें –
काव्य हेतु
पाश्चात्य काव्यशास्त्रियों द्वारा काव्य प्रयोजन