सिद्धों की वाममार्गी भोगप्रधान योग–साधना पद्धति की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप आदिकाल में जिस ‘हठयोग–साधना’ पद्धति का आविर्भाव हुआ, हिंदी साहित्य में उसे ही ‘नाथ पंथ/सम्प्रदाय’ के नाम से जाना जाता है तथा इन नाथों से द्वारा रचा गया साहित्य ‘नाथ साहित्य’ कहा जाता है ।
आदिकाल
आदिकालीन साहित्य में उपलब्ध होने वाली प्रवृत्तियाँ तत्कालीन परिस्थितियों के सन्दर्भ में देखी जानी चाहिए | इस काल में प्रमुख रूप से रासो साहित्य की रचना हुई अतः आदिकालीन साहित्य की प्रवृत्तियाँ रासो साहित्य की प्रवृत्तियाँ ही मानी जा सकतीं हैं |
इन ग्रंथों में पाई जाने वाली सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन निम्न शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है –
ऐतिहासिकता का महत्त्व –
(आदिकालीन साहित्य की परिस्थितियाँ एवं विशेषताएँ) भूमिका – आदिकाल साहित्य की परिस्थितियाँ…
हिन्दी साहित्य का इतिहास || काल विभाजन एवं नामकरण || हिन्दी साहित्य…
परीक्षाओं में इससे सम्बंधित दो तरह के प्रश्न बनते हैं | पहला तो सीधा-सा प्रश्न कि, हिन्दी के पहले कवि कौन हैं? जिसका उत्तर सरहपा है, क्योंकि अधिकांश विद्वानों द्वारा यह मान्य है |
दूसरा प्रश्न बनता है कि, किस इतिहासकार ने कौन-से कवि को हिन्दी का पहला कवि माना है।
यहाँ पर मैं आपको इस संबंध में सूची के माध्यम से अवगत करा रहा हूँ कि, किस इतिहासकार द्वारा कौन-से कवि को हिन्दी का पहला कवि स्वीकारा गया है|
आप इस जानकारी को हमेशा याद रखिएगा क्योंकि परीक्षाओं में प्रश्न यहाँ से बनने की पूरी-पूरी संभावना रहती है।
आदिकाल प्रश्नोत्तरी/आदिकाल के वस्तुनिष्ठ प्रश्न/आदिकाल पर आधारित प्रश्न/हिंदी साहित्य MCQ aadikal se…