अनुक्रमणिका
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण तत्सम और तद्भव शब्द
तत्सम और तद्भव शब्द से सम्बंधित प्रश्न विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, परीक्षा की तैयारी के लिए इन शब्दों की समझ होनी आवश्यक है, ताकि अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकें।
इस लेख में हम उन महत्त्वपूर्ण तत्सम और तद्भव शब्दों को आपके समक्ष रखने का हम प्रयास करेंगे जो पहले भी परीक्षाओं में पूछे जा चुकें हैं और साथ ही साथ आगामी परीक्षाओं में जिन तत्सम और तद्भव शब्दों को पूछे जाने की संभावना बन सकती है इस पर भी विशेष ध्यान देते हुए महत्त्वपूर्ण तत्सम और तद्भव शब्दों का संग्रह आपके सामने रखेंगे ।
स्रोत या उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद –
आप जानते हैं.. स्रोत या उत्पत्ति के आधार पर शब्द के पाँच भेद किए जाते हैं, लेकिन मुख्यतः चार भेद स्वीकार किए जाते हैं ।
१. तत्सम २. तद्भव ३. देशज ४. विदेशी (गौण – संकर शब्द)
तत्सम और तद्भव शब्द में अंतर
तत्सम शब्द –
तत्सम शब्द का अर्थ है – तत् + सम = उसके समान । किसके समान ? = संस्कृत के समान । अर्थात् ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा के शब्द हैं और हिंदी भाषा में बिना किसी परिवर्तन के (जैसे के तैसे) प्रयोग में लाए गए हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं । जैसे – प्रातः, अग्नि, क्षेत्र, काक, पुष्प, भ्राता इत्यादि ।
तद्भव शब्द –
तद्भव शब्द का अर्थ है – तत् + भव । अर्थात् संस्कृत से हिंदी रूप हो जाना । ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा के हैं, लेकिन हिंदी भाषा में उनका रूप परिवर्तन करके प्रयोग में लाया गया है ।
जैसे – प्रातः से सुबह, अग्नि से आग, काक से कौआ, पुष्प से फूल, भ्राता से भाई, इत्यादि ।
अर्द्धतत्सम शब्द
तत्सम एवं तद्भव शब्द के बीच एक और कड़ी है, जिसे अर्द्धतत्सम शब्द कहते हैं । अर्द्धतत्सम वे शब्द हैं जो प्राकृत, पालि, अपभ्रंश भाषा से होते हुए अपने इस रूप में आ गए हैं कि, जिनमें कुछ अंश तत्सम का रह गया तो कुछ तद्भव का अतः अर्द्धतत्सम शब्द कहलाए गए ।
जैसे – अग्नि तत्सम शब्द है, इसका हिंदी रूपांतरण आग बना, तो यह तद्भव कहलाया, अग्नि से आग बनने की कड़ी में यह अगिन भी था, यही अर्द्धतत्सम है । क्योंकि अग्नि शब्द वैदिक संस्कृत से आया, मध्यकालीन भाषा में प्राकृत, पालि, अपभ्रंश भाषा की विकासशील परंपरा से गुजरता हुआ इसका रूपांतरण अगिन हुआ, आधुनिक भाषा विकास में यही शब्द आग शब्द में रूपांतरित हुआ तब तद्भव बना ।
अन्य उदाहरण –
अक्षर, अच्छर, आखर – तत्सम, अर्द्धतत्सम, तद्भव
वत्स, बच्छा, बच्चा – तत्सम, अर्द्धतत्सम, तद्भव
यहाँ अच्छर, बच्छा शब्द अर्द्धतत्सम हैं, ध्यान रहे सभी शब्दों के अर्द्धतत्सम शब्द पाए जाएँ जरूरी नहीं है ।
तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने का तरीका (ट्रिक)
तत्सम शब्दों को पहचानने के लिए सबसे पहले आपको तत्सम शब्दों की बनावट को समझना होगा, नीचे तत्सम और तद्भव शब्द की सूची दी गई है, उनमें तत्सम शब्दों को जब आप ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे तो पाएंगे कि, तत्सम शब्दों की बनावट में कुछ वर्ण/अक्षर ऐसे हैं जो तत्सम शब्दों में अधिकांश प्रयोग में लाए गए हैं और जब उनका तत्सम से तद्भव रूप बनाया गया तो वे एक निश्चित अक्षर में बदल दिए गए हैं ।
उदाहरण के माध्यम से समझें –
- पक्षी (तत्सम) – पंछी (तद्भव)
- क्षत्रिय (तत्सम) – खत्री (तद्भव)
- क्षेत्र (तत्सम) – खेत (तद्भव)
क्ष वर्ण का प्रयोग तत्सम शब्दों में जब हुआ, तद्भव बनाते समय इस अक्षर का रूपांतरण या तो छ में या ख में हो गया ।
ऐसा ही निश्चित रूपांतरण तत्सम से तद्भव रूप बनाते समय कुछ वर्णों के साथ होता है, इन्हें आप संज्ञान में रख सकते हैं –
जैसे –
- श्र वर्ण का प्रयोग तत्सम में होता है, तद्भव बनाते समय यह (दन्त्य) स में बदल जाता है । जैसे – श्रावण – सावन
- ष (मूर्धन्य) और श (तालव्य) का प्रयोग तत्सम में होता है, इसका रूपांतरण भी तद्भव बनाते समय स (दन्त्य) में हो जाता है । जैसे – आषाढ़ – असाढ़ । आशीष – असीस ।
नोट:-
यह आवश्यक नहीं कि, (तालव्य) श का प्रयोग सदैव तत्सम शब्दों में ही हो, कभी-कभी तद्भव में भी श का प्रयोग देखने को मिलता है । जैसे – शिंशपा (तत्सम) – शीशम (तद्भव) ।
- त्र संयुक्त वर्ण/अक्षर का प्रयोग तत्सम शब्दों में होता है, इसका तद्भव बनाते समय यह त वर्ण में बदल जाता है । जैसे – त्रीणि – तीन ।
- ऋ स्वर वर्ण/मात्रा का प्रयोग तत्सम में होता है, इसका तद्भव रूप बनाते समय यह र वर्ण में में बदल जाता है । जैसे – ऋक्ष – रीछ ।
- व वर्ण/अक्षर का प्रयोग तत्सम शब्दों में होता है, इसका तद्भव बनाते समय यह ब वर्ण/अक्षर में बदल जाता है । जैसे – वंशी – बाँसुरी । लेकिन सदैव ऐसा नहीं होता ।
- अधिकांशतः अनुस्वार की मात्रा का प्रयोग तत्सम में व अनुनासिक की मात्रा का प्रयोग तद्भव शब्दों में होता है । जैसे – अंक – आँक, अंगरक्षक – अंगरखा ।
नोट:- तत्सम एवं तद्भव शब्दों की पहचान के ये तरीके (ट्रिक) आपकी समझ के लिए हैं, हम सलाह देंगे आप इन पर निर्भर न रहें, क्योंकि इनके कहीं-कहीं पर अपवाद भी देखने को मिलते है, इसलिए परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए नीचे दी गई तत्सम और तद्भव शब्दों की सूची को ध्यानपूर्वक याद कर लें, यदि हाँ परीक्षा में ऐसी स्थिति बनती है कि, आपको कुछ याद या समझ नहीं आ रहा तो जरूर आपको इन पहचान/ट्रिक से मदद मिलेगी ।
हिन्दी व्याकरण के लिए उपयोगी पुस्तकें
अब यहाँ पर उन तत्सम एवं उनके तद्भव शब्दों को आपके समक्ष रखा जा रहा है जो पूर्व की परीक्षाओं में पूछे गए हैं और जिनकी परीक्षा में पूछे जाने की संभावना सबसे अधिक होती है, वे हैं –
तत्सम और तद्भव शब्द सूची
Tatsam and Tadbhav Shabd List
तत्सम | तद्भव |
अंक | आँक |
अंगरक्षक | अँगरखा |
अंगुली | उंगली, अंगुरी |
अंधकार | अँधेरा |
अकथ्य | अकथ |
अकार्य | अकाज |
अक्षत | अच्छत |
अक्षय (तृतीया) | आखा (तीज) |
अक्षवाट | अखाड़ा |
अगम्य | अगम |
अग्रणी | अगाड़ी |
अज्ञान | अजान |
अट्टालिका | अटारी |
अन्यत्र | अनत |
अभ्यंतर | भीतर |
अमावस्या | अमावस |
अरिष्ट | रीठा |
अवगुंठन | घूँघट |
अवगुण | औगुन |
अवतार | औतार |
अवमूर्ध | औंधा |
अविधावात्व | एहवात |
असौ | वह |
आदेश | आयसु |
आभीर | अहीर |
आमलक | आँवला |
आलस्य | आलस |
आलुक | आलू |
आश्विन | आसोज |
आश्चर्य | अचरज |
आषाढ़ | असाढ़ |
इंष्ट | ईंट |
इक्षु | ईख |
ईर्ष्या | ईर्षा/रीस |
उत्कल | उड़ीसा |
उत्सव | उच्छव |
उत्साह | उछाह |
उद्वर्तन | उबटन |
उपल | ओला |
उपाध्याय | ओझा |
उष्ट्र | ऊँट |
ऊर्ण | ऊन |
ऊषर | ऊसर |
एला | इलायची |
कंकती | कंघी |
कंकन | कंगन |
कंटफल | कटहल |
कंडुर | करेला |
कटाह | कड़ाह |
कति | कई |
कथानिका | कहानी |
कपित्थ | कैथा |
कर्त्तव्य | करतब |
कमल | कँवल |
कार्तिक | कातिक |
कार्य | कारज/काज |
कास | खाँसी |
किंपुनः | क्यों |
कीर्ति | कीरति |
कुठार | कुल्हाड़ा |
कुपुत्र | कपूत |
कुमार | कुँवर |
कृतः | किया |
कृत्यगृह | कचहरी |
कृष्ण | किसन |
केविका | केवड़ा |
केश | केस |
कैवर्त | केवट |
केशरी | केसरी/केहरी |
क्रोड | गोंद |
क्लेश | कलेश |
क्षण | छिन |
क्षत्रिय | खत्री |
क्षेत्रित | खेती |
क्षोदन | खोदना |
क्षोभ | छोह |
क्षार | खार |
खनि | खान |
खर्जू | खुजली |
खात | गड्डा |
गलगति | गिरगिट |
गुंठन | घूँघट |
गृध्र | गीध |
गर्गर | गगरी |
गर्त | गड्ढा |
गर्भिणी | गाभिन |
गोमय | गोबर |
ग्रह | गेह |
ग्रीवा | गरदन |
घोटक | घोड़ा |
चतुष्काठ | चौखट |
चतुष्पद | चौपाया |
चटिका | चिड़िया |
चणक | चना |
चर्वण | चबाना |
चित्रक | चीता |
चित्रकार | चितेरा |
चैत्र | चैत |
चौक्ष | चोखा |
चौर | चोर |
छांह | छाया |
जंघा | जाँघ |
जंभ | जबड़ा |
जटा | जड़ |
जन्म | जनम |
जीर्ण | झीना |
जृम्भिका | जम्हाई |
ज्ञातिग्रह | नैहर |
टंकशाला | टकसाल |
तंडुल | तंदुल |
तपस्वी | तपसी |
ताप | ताव |
तिथिवार | त्योहार |
तिरस | तिरछा |
तुंद | तोंद |
तैल | तेल |
त्वरित | तुरंत |
दंशन | डसना |
दंष्ट्रिका | दाढ़ी |
दद्रु | दाद |
दीपावली | दीवाली |
दृष्टि | दीठी |
दोरक | डोरा |
द्विवर | देवर |
द्राक्षा | दाख |
धरित्री | धरती |
धात्री | दाई |
धूम/धान्य | धुआँ |
धैर्य | धीरज |
धौत्र | धोती |
ध्वनि | धुनि |
नकुल | नेवला |
नक्र | नाक |
नानांदृपति | नंदोई |
नापित | नाई |
निम्ब | नीम |
निम्बक | नींबू |
नियम | नेम |
पक्वान्न | पकवान |
पवन | पौन |
पक्षी | पंछी |
पथ | पंथ |
परिकूट | परकोटा |
परीक्षा | परख |
पण्यशालिका | पनसारी |
पर्यंक | पलंग |
परश्वः | परसों |
पारद | पारा |
पाषाण | पाहन |
पिप्पल | पीपल |
पुत्तलिका | पुतली |
पुत्रवधू | पतोहू |
पुष्कर | पोखर |
पुष्प | पुहुप/फूल |
प्रणाल | परनाला |
प्रतनु | पतला |
प्रतिवास | पड़ोसी |
प्रतिवेशी | पड़ोसी |
प्रत्यभिज्ञान | पहचान |
प्रथिल | पहला |
प्रभुत्व | पहुँच |
प्रसरण | पसरना |
प्रसारण | पसारना |
प्रस्तर | पत्थर |
प्रस्वेद | पसीना |
प्रहर | पहर |
प्रहरी | पहरी |
फाल्गुन | फागुन |
बंध | बाँध |
बंध्या | बाँझ |
बकुलश्री | मौलश्री |
बदरी | बेर |
बर्कर | बकरा |
भाटक | भाड़ा |
भ्रातृभार्या | भाभी |
भ्रू | भौंह |
वचन | बैन |
वाटिका | बाड़ी |
वातुल | बावला |
वाराणसी | बनारस |
विभूति | बभूत |
वृत्तिक | बूंटी |
मंत्रकारी | मदारी |
मंथज | मक्खन |
मया | मैं |
महार्घ | महँगा |
महीष | भैंसा |
मृत्तिका | मिट्टी |
मण्डप | मँड़ुआ |
मनुष्य | मानुस |
मशक | मच्छर |
महापात्र | महावत |
मित्र | मीत |
मिष्टान्न | मिष्ठान |
मेघ | मेह |
यंत्र-मंत्र | जंतर-मंतर |
यजमान | जजमान |
यज्ञ | जग, जज्ञ |
यम | जम |
यमुना | जमुना |
यव | जौ |
युक्त | जोड़ा |
युक्ति | जुगति |
यूथ | जत्था |
यौवन | जोबन |
रक्तिका | रत्ती |
रसवती | रसोई |
रूक्ष | रूखा |
रज्जु/रश्मि | रस्सी |
राशि | रास |
रिक्त | रीता |
लंग | लंगड़ा |
लगुड | लकड़ी |
ललाट | लिलार |
लवंग | लौंग |
लशुन | लहसुन |
लिंगपट्ट | लंगोट |
लिक्षा | लीख |
लुंचन | नोचना |
लोक | लोग |
वंशी | बंशी/बाँसुरी |
वणिक | बनिया |
वर्ण | बरन |
वर्तिका | बत्ती |
वर्त्मन | मार्ग |
वर्धकीन | बढ़ई |
वल्गा | बाग |
वानर | बन्दर |
वार्ताक | बैंगन |
वृक्ष | बिरख/बिरछ |
वृत्तक | बड़ा |
वेष | भेष |
शकट | छकड़ा |
शकल | छिलका |
शय्या | सेज |
शलाका | सलाई |
शाप | सराप/श्राप |
शिंशपा | शीशम |
शिम्बा | सेम |
शिष्य | सिक्ख |
शुंठी | सोंठ |
शुंड | सूँड़ |
शुक | सुआ |
शुष्ठी | सोंठ |
शून्य | सूना |
शोभन | सोहन |
श्मश्रु | मूँछ |
श्यालक | साला |
श्रावण | सावन |
श्रृंग | सींग |
शृंगार | श्रृंगार/सिंगार |
श्रेणी | सीढ़ी |
श्वक | सगा |
श्वश्रू | सास |
संतापन | सताना |
संधि | सेंध |
संन्यासी | सन्यासी |
सक्तु | सत्तू |
सच्चक | सांचा |
सरोवर | सरवर |
सर्सप/सर्षप | सरसों |
साक्षी | साखी |
सार्द्ध | साढ़े |
सूचिका | सूई |
सौभाग्य | सुहाग |
स्कंधभार | कहार |
स्तोक | थोड़ा |
स्थम्भन | थामना |
स्थान | थान |
स्नान | नहान |
स्नायु | नस |
स्नेह | नेह |
स्फटिक | फिटकरी |
स्वामी | साईं |
हरीतकी | हरड़ |
हर्ष | हरख |
हस्ति/गज | हाथी |
हिंगु | हींग |
हितेच्छु | हितैषी |
हीरक | हीरा |
हृदय | हिय |
ह्वेषण | हिनहिनाना |
तत्सम एवं तद्भव शब्द PDF DOWNLOAD